शादीशुदा जीवन में सामंजस्य बनाए रखने के लिए। काला कलुवा चौंसठ वीर ताल भागी तोर जहां को भेजूं वहीं को जाये मांस मज्जा को शब्द बन जाये अपना मारा, आप दिखावे चलत बाण मारूं उलट मूंठ मारूं मार मार कलुवा तेरी आस चार चौमुखा दीया मार बादी की छाती इतना https://miltonw852lqu5.humor-blog.com/34523766/not-known-details-about-वश-करण-म-त-र-क-स-च-ह-ए